क्या है हमारा उद्देश्य

purpose

जीवन सहज नहीं ,एक संघर्ष है।  कठिनाइया एवं बाधाए  जीवन के अंग है।  इनसे भयभीत होकर अपने कर्त्तव्य पथ से पलायन कर देने का अर्थ होगा,  अपने जीवन मूल्य को नष्ट कर देना।  सत्य तो यह है की   कठिनाइयों और दोषो  पर विजय प्राप्त करके ही मानव ने इस भौतिक संसार का इतना ऊँचा विकास किया है।  जब कड़वी दवा के सेवन से रोग का निदान शीघ्र होता है, तब हम अपने जीवन लक्ष्य की सिद्धि में संघर्ष करने से क्यों कतराएं ? हेनरि फोर्ड  का यह कथन ध्यान  देने योग्य है- " obstacles are those frightful things you see when you take your eyes off your goal."                                                                                                                                                                                                                               त्रेता युग में श्रीरामजी को चौदह वर्ष का वनवास मिला था और फिर लंका पर विजय प्राप्त करने के पश्चात्  लौटने पर राजगद्दी मिलते ही उन्हें सीताजी के निष्कासन पर एकल जीवन जीना  पड़ा था।द्वापर युग में श्रीकृष्ण के होते हुए भी धर्मराज युधिष्ठिर सहित पांचो पांडव भाइयो को बारह वर्ष का वनवास और साथ में एक वर्ष का अज्ञात वास झेलना पड़ा था। स्पष्ट है ,यह जीवन संघर्ष आदिकाल से चला आ रहा है।  अतः सुन्दर जीवन बनाने के लिए हमें संघर्ष के बीच तो रहना ही होगा, बाधाओं को पर करते हुए आगे बढ़ना होगा और तभी हम अपने जीवन उद्देश्य की पूर्ति कर पाएंगे। 

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