मत पछताये अगर चिड़िया चुग गई है खेत

बहुत पुरानी कहावत है कि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।असल में यह कहावत यह कहना चाहती है कि समय निकल जाने के पश्चात पछताना पड़े उससे बेहतर है कि हम समय रहते ऐसा काम करें कि परेशानी की नौबत ही ना आए ।।                                   अर्थ का अनर्थ --अनजाने ही कुछ लोग इस कहावत का गलत अर्थ लगा लेते हैं वह ऐसा सोच लेते हैं कि अब जब चिड़िया खेत चुग गई है तो अब पछताने से क्या लाभ। अब तो कुछ हो ही नहीं सकता ,बिगड़ी बात अब तो कभी बन ही नहीं सकती यानी कि इस एक गलती का मतलब यह है कि अब आप जीवन में कुछ कर ही नहीं सकते ।आप अब किसी सफलता के हकदार नहीं रहे वगैरा-वगैरा। ऐसी सोच का क्या परिणाम होगा यह किसी से छिपा नहीं है या तो असफल व्यक्ति निराशा से घिरकर आत्महत्या कर लेता है जैसा कि परीक्षा में असफल बहुत से लोग कर लेते हैं वह यह भूल जाते हैं की परीक्षा जीवन का एक अंग है एक हिस्सा है परीक्षा जीवन नहीं है या फिर इतना निराश हो जाता है कि अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास करना छोड़ देता है ।खेत फिर से बोया जा सकता है। माना की चिड़िया सारा खेत चुग गई,पर फसल ही तो चुग गई है ना खेत तो अभी भी वही है ।खेत है तो फसल भी फिर से आ सकती है और फिर से फसल लहलहा सकती है, यानी कि माना कुछ नुकसान हो गया है पर सब कुछ खत्म हो नहीं हो गया ना और सच पूछिए वह सब कुछ कभी खत्म हो ही नहीं सकता। जब तक जीवन है तब तक आशा बनाए रखिए निराशा को अपने मन से निकाल दे ,असफलताओं को भुला दे और एक नए सिरे से सब कुछ शुरू करें ।हां अपने पिछले प्रयास का विश्लेषण अवश्य करें अपनी कमियों और गलतियों का मनन करें और उन बातों को मन में बिठा ले, जिनकी वजह से आप पिछली बार असफल हुए थे ताकि अगली बार उन्हें दोहराये नहीं। उनसे बचकर रहें जब हम किसी सड़क पर चलते हैं तो कई बार ठोकर खा जाते हैं, लेकिन अगली बार जब हम उसी रास्ते से निकल रहे होते हैं तो हमें वह पुरानी ठोकर जरूर याद आ जाती है और हम वह पुरानी जगह आने से पहले ही संभल जाते हैं उस जगह पर दोबारा तो ठोकर नहीं खाते ना। कुछ परिवर्तन जरूरी है --जिस खेत में फसल काट ली गई है (चाहे चिड़िया ही क्यों न चुग गई हो) उसमें दोबारा फसल बोने के लिए पहले खेत को तैयार करना जरूरी होता है, हल चलाना पड़ता है, जमीन को जोतना पड़ता है। उसी तरह अपने दिमाग को अपनी आत्मा को बोई जाने वाली नई फसल के लिए तैयार करें। संभव हो तो कुछ समय के लिए उस काम से दूर हो जाए जिसमें आप असफल हुए हैं ।मन को कहीं और ले जाए ।सुविधा हो तो कुछ समय के लिए स्थान परिवर्तन कर ले ।आसपास का वातावरण परिवेश आसपास के लोग बदल जाने से आप पुरानी असफलता को दिमाग से निकाल पाने में सफल होते हैं। नया कुछ तो दिमाग में तभी घुस पायेगा न जब पुराना सब निकाल दिया जाएगा।                                                                  प्रार्थना करें- प्रार्थना से बहुत लाभ है प्रार्थना से आपका मन शांत होता है ,मन की शांति हो तो आप नए काम के लिए नए प्रयोग के लिए जल्दी और बेहतर तरीके से तैयार हो पाते हैं। ईश्वर से प्रार्थना करते समय ईश्वर पर विश्वास जरूरी है आप अपने ईश्वर को किसी भी नाम से पुकारे, उसकी प्रार्थना किसी भी भाषा में किसी भी तरीके से किसी भी स्थान पर करें ,उससे कुछ अंतर नहीं आता ,बस उस पर विश्वास करें और आपका मन ना सिर्फ शांत होगा बल्कि  एक नई ऊर्जा से भर जाएगा ।                                                             मैं कर सकता हूं-- यह मूल मंत्र है आपकी सफलता का ,इसे हमेशा मन ही मन दोहराते रहे ।यह निराशा को आपसे दूर करेगा काम कोई भी हो, उसे हाथ में लेने से पहले यह सोचिये जब दूसरे से कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं कर सकते आप दूसरों से कहीं कम नहीं, चलिए एक मिनट के लिए अगर हम भी मान ले कि आप दूसरों से बुद्धि में ज्ञान में किसी भी क्षेत्र में कुछ कम है तो यह अंतर कभी भी 19-20 के अंतर से अधिक नहीं होता है ,तो आप उससे 5% कम है अब आप अगर उससे 10% अधिक श्रम करने को तैयार है या 10% अधिक समय देने को तैयार है तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। अब समय देना और मेहनत करना तो आपके हाथ में है ना ।आप अगर चाहे तो चिड़ियों के खेत चुग जाने के बाद भी अगला दिन आपके लिए ला सकते हैं एक नया सवेरा बस सब कुछ भूलकर प्रतीक्षा तैयारी करें नए सवेरे की

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